रविवार, 20 दिसंबर 2015

एक अनुरोध

जो धर्म के बारे में वास्तव में जानते हों वही मेरे पोस्टों पर धर्म और कर्तव्य सम्बन्धी टिपण्णी करें| मेरा कार्य सर्वजन के बीच उस एक मालिक का सन्देश देना है जो शाश्वत है, जिसका न आदि हैऔर न अंत है, जो हिन्दू, मुसलमान, क्रिष्ट आदि सभी पंथों का एकमात्र अंतिम ध्येय है| न हिन्दू हूँ न मुसलमान हूँ, साधक पारब्रह्म का हूँ इसलिए ब्राह्मण हूँ | नित्य ब्रह्म में रमण करने वाले सदगुरूदेव जी की कृपा से निजस्वरूप की एक झलक पाई है जिसके बाद और कुछ संसारी जानना और समझना शेष नहीं रहता| उस मालिक के संसार में जैसा वह रखता है वैसा रहता हूँ, जो प्रेरित करता है वही लिखता और कहता हूँ| उसी की कृपा से यहाँ इतना और लिखता हूँ:

ब्रह्मज्ञानी का शिष्य हूँ,
ब्रह्म में रमण करता हूँ,
ब्राह्मण कहलाता हूँ
मैं ब्रह्म का अनन्य अंश हूँ
अव्यक्त नाम मेरा
न कोई वैरी मेरा
न कोई मित्र मेरा
न ये चोला मेरा
चहुँओर व्याप्त ब्रह्म है
उसके नाटक का अंश है
भ्रम का पर्दा हटाना है
यही ब्रह्म का आदेश है |

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